भारत में 5G नेटवर्क की अपार सफलता और रिकॉर्ड समय में रोलआउट के बाद, भारत सरकार ने अब अगली पीढ़ी की तकनीक यानी 6G (Sixth Generation) की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। दूरसंचार मंत्रालय ने आज एक नई और महत्वाकांक्षी 'डिजिटल पॉलिसी' का ऐलान किया है, जिसका उद्देश्य भारत को 2030 तक 6G तकनीक में ग्लोबल लीडर बनाना है।
क्या है सरकार का नया 6G रोडमैप?
नई डिजिटल पॉलिसी के तहत सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता (Consumer) नहीं, बल्कि निर्माता (Creator) बनेगा। इस मिशन को "भारत 6G विज़न" नाम दिया गया है। इसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
- ट्रायल की शुरुआत: सरकार का लक्ष्य है कि साल 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक देश के चुनिंदा शहरों और लैब्स में 6G के ट्रायल शुरू कर दिए जाएं।
- रिसर्च और इनोवेशन: इसके लिए सरकार ने एक उच्च-स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है, जिसमें वैज्ञानिक, इंडस्ट्री के दिग्गज और आईआईटी (IITs) के प्रोफेसर्स शामिल हैं।
- पेटेंट पर जोर: नई पॉलिसी में भारतीय कंपनियों को 6G से जुड़े पेटेंट अपने नाम करने के लिए विशेष प्रोत्साहन (Incentives) दिए जाएंगे।
5G से कितना अलग होगा 6G?
आम लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि जब 5G इतना तेज़ है, तो 6G की क्या ज़रूरत है? विशेषज्ञों के अनुसार, 6G केवल इंटरनेट स्पीड तक सीमित नहीं है:
- अकल्पनीय स्पीड: 6G की स्पीड 5G से लगभग 50 से 100 गुना अधिक होने का अनुमान है। डेटा की स्पीड गीगाबिट्स (Gbps) से बढ़कर टेराबिट्स (Tbps) में मापी जाएगी।
- जीरो लेटेंसी (Zero Latency): इसका मतलब है कि कमांड देने और उसके पूरा होने में ना के बराबर समय लगेगा। यह तकनीक रोबोटिक सर्जरी और बिना ड्राइवर वाली कारों के लिए वरदान साबित होगी।
आम आदमी को क्या फायदा होगा?
नई डिजिटल पॉलिसी का असर सिर्फ मोबाइल फोन तक सीमित नहीं रहेगा। इसका सीधा असर इन क्षेत्रों पर दिखेगा:
- हेल्थकेयर: दूर-दराज के गांवों में बैठे मरीजों का इलाज दुनिया के बेहतरीन डॉक्टर रोबोटिक आर्म्स के जरिए रीयल-टाइम में कर सकेंगे।
- शिक्षा: होलोग्राम तकनीक (Hologram Technology) के जरिए क्लासरूम का अनुभव पूरी तरह बदल जाएगा। छात्र घर बैठे वर्चुअली क्लास में उपस्थित महसूस करेंगे।
- कृषि: ड्रोन तकनीक और सेंसर आधारित खेती से किसानों को मौसम और फसल की सटीक जानकारी सेकंडों में मिलेगी।
निष्कर्ष (Conclusion):
सरकार का यह ऐलान बताता है कि भारत अब डिजिटल दुनिया में पिछड़ने वाला नहीं है। अगर यह रोडमैप सही दिशा में आगे बढ़ा, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत अमेरिका और चीन जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए दूरसंचार के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करेगा।




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