दिनांक: 13 दिसंबर 2025
स्थान: नई दिल्ली / भारत (ब्यूरो)
अगर आप भी कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं या आपकी गाड़ी का कोई पुराना चालान पेंडिंग है, तो आज का दिन आपके लिए राहत की खबर लाया है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के निर्देश पर आज, 13 दिसंबर 2025 को देश भर में (कुछ राज्यों को छोड़कर) साल की आखिरी 'राष्ट्रीय लोक अदालत' (National Lok Adalat) का आयोजन किया जा रहा है।
इसका मुख्य उद्देश्य अदालतों में पेंडिंग पड़े लाखों मुकदमों का आपसी समझौते के आधार पर निपटारा करना है, ताकि आम जनता को "सस्ता और सुलभ न्याय" मिल सके।
किन मामलों का होगा निपटारा? (Cases Covered)
लोक अदालत में मुख्य रूप से उन मामलों को सुना जाता है जिनमें समझौते की गुंजाइश होती है। आज आप निम्नलिखित मामलों का निपटारा करवा सकते हैं:
ट्रैफिक चालान (Traffic Challans): पेंडिंग ई-चालान या कोर्ट चालान को कम राशि देकर खत्म करवाया जा सकता है।
बैंक रिकवरी (Bank Recovery): लोन और क्रेडिट कार्ड के बकाया मामले।
पारिवारिक विवाद: तलाक को छोड़कर, अन्य वैवाहिक या पारिवारिक झगड़े।
बिल भुगतान: बिजली, पानी और टेलीफोन के बिलों से जुड़े विवाद।
जमीन विवाद: भूमि अधिग्रहण और राजस्व से जुड़े मामले।
छोटे आपराधिक मामले: ऐसे मामले जो कानूनन समझौते योग्य (Compoundable) हैं।
लोक अदालत के बड़े फायदे (Benefits)
कोई फीस नहीं: लोक अदालत में केस लड़ने के लिए कोई कोर्ट फीस नहीं लगती। अगर आपने पहले कोर्ट फीस जमा की है और आज समझौता हो जाता है, तो वह फीस भी वापस (Refund) मिल जाती है।
तुरंत फैसला: यहाँ सालों का इंतजार नहीं होता, दोनों पक्षों की सहमति से मौके पर ही फैसला सुना दिया जाता है।
अंतिम मान्य (Final Decision): लोक अदालत के फैसले को सिविल कोर्ट की डिग्री के बराबर माना जाता है। सबसे खास बात यह है कि इस फैसले के खिलाफ किसी भी ऊपरी अदालत में अपील नहीं की जा सकती, जिससे मामला हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।
कुछ राज्यों में आयोजन नहीं
गौरतलब है कि कुछ राज्यों में स्थानीय चुनावों या प्रशासनिक कारणों से आज लोक अदालत का आयोजन नहीं किया जा रहा है। हालांकि, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान समेत अधिकांश राज्यों में जिला न्यायालयों और तहसील स्तर पर बेंच बैठाई गई हैं।
कैसे शामिल हों?
जिनका केस कोर्ट में पेंडिंग है, वे अपने वकील के जरिए या सीधे जज से अनुरोध करके अपना केस लोक अदालत में ट्रांसफर करवा सकते हैं। ट्रैफिक चालान के लिए कई राज्यों में ऑनलाइन पोर्टल के जरिए भी टोकन जनरेट करने की सुविधा दी गई है।
निष्कर्ष
"ना किसी की जीत, ना किसी की हार"—यही लोक अदालत का मूल मंत्र है। अगर आपका भी कोई छोटा-मोटा विवाद या चालान पेंडिंग है, तो आज ही अपने नजदीकी न्यायालय परिसर में जाकर उसे खत्म करवाएं और नए साल की शुरुआत बिना किसी कानूनी बोझ के करें।




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